दिल्ली का हवा प्रदूषण भारत ही नहीं, दुनिया की सबसे गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं में से एक माना जाता है। यहाँ प्रदूषण कई कारणों से बढ़ता है और इसका असर स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और जीवन की गुणवत्ता पर गहराई से पड़ता है।
🌫️ दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण
- वाहनों का धुआँ
दिल्ली-NCR में वाहनों की संख्या बहुत अधिक है, जिससे बड़े पैमाने पर PM2.5 और PM10 कण बढ़ते हैं। - औद्योगिक प्रदूषण
दिल्ली के आसपास अनेक छोटे-बड़े उद्योग हैं जो धुआँ और जहरीली गैसें उत्सर्जित करते हैं। - निर्माण कार्य (कंस्ट्रक्शन)
लगातार निर्माण कार्य से धूल हवा में फैलती है और AQI खराब होता है। - फसल जलाना (स्टबल बर्निंग)
पंजाब–हरियाणा में पराली जलाने के मौसम (अक्टूबर–नवंबर) में धुआँ हवा के साथ दिल्ली तक पहुँचता है। - भूगोल और मौसम
दिल्ली की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सर्दियों में हवा की गति कम हो जाती है, जिससे प्रदूषक ऊपर नहीं उठ पाते और शहर पर ही जम जाते हैं।
😷 स्वास्थ्य पर प्रभाव
- सांस की बीमारी (अस्थमा, ब्रोंकाइटिस)
- आँखों में जलन
- दिल से जुड़े रोग
- बच्चों और बुजुर्गों पर ज्यादा असर
दीर्घकाल में यह जीवन प्रत्याशा (Life expectancy) भी कम कर सकता है।
🏙️ सरकार और लोगों की ओर से उपाय
✔ सम-विषम (Odd-Even) योजना
✔ हरा-भरा दिल्ली अभियान (Tree Plantation)
✔ स्मॉग टावर
✔ कंस्ट्रक्शन साइट पर धूल नियंत्रण
✔ इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा
✔ पराली के प्रबंधन के लिए नई तकनीकें
🌱 आप क्या कर सकते हैं?
- मास्क (N95) पहनें
- भीड़भाड़ में वाहन न चलाएँ, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग करें
- घर में एयर प्यूरीफायर का उपयोग
- मॉर्निंग वॉक/आउटडोर एक्सरसाइज बहुत ज्यादा स्मॉग के दिनों में न करें
- पौधे लगाएँ: स्पाइडर प्लांट, स्नेक प्लांट, अरेका पाम आदि
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